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Last Updated: 2021-11-13 13:30:47
मनरेगा योजना से सम्बंधित जानकारी
भारत में अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त नहीं होता है, इसलिए ग्रामीण जनसख्यां रोजगार के लिए शहर की ओर पलायन कर रही है, केंद्र सरकार ने इस पलायन को रोकने के लिए लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार प्रदान करने का निर्णय लिया है | यह मनरेगा योजना के माध्यम से ही सम्भव हो पाया है | मनरेगा योजना क्या है इसके लाभ, कार्य, मजदूरी आदि विभिन्न पहलुओं के बारे में यहाँ विस्तार से बताया जा रहा है |
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 2 अक्टूबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था।
इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनिbयम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया।
मनरेगा योजना क्या है ?
यह केंद्र सरकार के द्वारा चलायी गयी प्रमुख योजना है, इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्राम का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्रदान करना है, इस योजना के द्वारा ग्राम को शहर के अनुसार सुख-सुविधा प्रदान करना है, जिससे ग्रामीणों का पलायन रुक सके |
मनरेगा का पूरा नाम क्या है ?
मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना है, इससे पूर्व इस योजना को राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना (एनआरईजीए) नरेगा के नाम से जाना जाता था |
मनरेगा योजना की शुरुआत और नाम परिवर्तन
केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2005 को की थी, इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अंतर्गत रखा गया था | इस योजना को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था | 31 दिसंबर 2009 को इस योजना के नाम में परिवर्तन करके इसे महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना कर दिया गया |
मनरेगा योजना प्रक्रीया
ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य, ग्राम पंचायत के पास एक तस्वीर के साथ अपना नाम, उम्र और पता जमा करते हैं। जांच के बाद पंचायत, घरों को पंजीकृत करता है और एक जॉब कार्ड प्रदान करता है। जॉब कार्ड में, पंजीकृत वयस्क सदस्य का ब्यौरा और उसकी फोटो शामिल होती है। एक पंजीकृत व्यक्ति, या तो पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप से (निरंतर काम के कम से कम चौदह दिनों के लिए) काम करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। आवेदन दैनिक बेरोजगारी भत्ता आवेदक को भुगतान किया जाएगा।
इस अधिनियम के तहत पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी भी भेदभाव की अनुमति नहीं है। इसलिए, पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन भुगतान किया जाना चाहिए। सभी वयस्क रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मनरेगा योजना के अंतर्गत कार्य
इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्य कराये जाते है, जिसमे से प्रमुख कार्य इस प्रकार से है |
जल संरक्षण
सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण
बाढ़ नियंत्रण
भूमि विकास
विभिन्न तरह के आवास निर्माण
लघु सिंचाई
बागवानी
ग्रामीण सम्पर्क मार्ग निर्माण
कोई भी ऐसा कार्य जिसे केन्द्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह लेकर अधिसूचित करती है |
मनरेगा योजना से लाभ
1.मनरेगा योजना में ग्रामीण लोगों को अपने परिवेश में ही रोजगार प्राप्त हो जाता है, केंद्र सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस के रोजगार की गारंटी दी है |
2.छत्तीसगढ़ राज्य में महात्मा मनरेगा योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस को बढ़ा कर 150 कार्यदिवस की रोजगार गारंटी दी है | 50 कार्य दिवस के व्यय का वहन राज्य सरकार के द्वारा किया जायेगा |
The source of information is - https://nrega.nic.in/netnrega/home.aspx
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